चेन्नई की रहने वाली राधिका शादी के बाद दिल्ली आ गईं। एक शौक के तौर पर राधिका ने ट्रैवल फोटोग्राफी से अपने करिअर की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने 2004 में वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी की ओर रुख किया। राधिका कहती हैं ''एक महिला होने के नाते इस काम को करना मेरे लिए आसान नहीं था। लेकिन मैंने ये ठान लिया था कि हर हाल में मुझे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बनना है। इसलिए मैं अपने फैसले पर अडिग रहीं''।
उनका सबसे ज्यादा रुझान बर्ड फोटोग्राफी की तरह रहा है। राधिका को फोटोग्राफी का शौक 11वीं कक्षा में पढने के दौरान हुआ था। बाद में जब उनके अंकल ने कैमरा गिफ्ट दिया तो शौक जुनून में बदल गया। जंगल की दुनिया ने उन्हें पिछले 25 वर्षों से बांध रखा है।
पिछले एक दशक से राधिका उत्तर भारत और अफ्रीका के कई नेशनल पार्क और सेंचुरीज में घुम चुकी हैं। उनकी फोटोग्राफी का मकसद लोगों को भारत के प्राकृतिक स्रोतों से परिचित कराना है।
वे आम लोगों को अपने प्रयासों से पक्षियों को सुरक्षित रखने के तरीके समझाना चाहती हैं। रामासामी के काम को कई घरेलू और इंटरनेशनल पब्लिकेशन में स्थान मिल चुका है। 2008 में उन्हें टॉप बर्ड फोटोग्राफर चुना गया था। उनकी पहली किताब ''बर्ड फोटोग्राफी'' 2010 में प्रकाशित हुई थी।
वे कहती हैं एक प्रोफेशनल फ्री लांसर फोटोग्राफर होने के नाते मुझे फोटोग्राफी के साथ-साथ अपने वर्क की मार्केटिंग भी करना पड़ती है। इंडस्ट्री में नया ट्रेंड क्या है, इस बारे में भी पूरी जानकारी हासिल करना जरूरी है।
वे ये मानती हैं कि एक अच्छा फोटोग्राफर ऑनलाइन अपने पोर्टफोलिया को अच्छी तरह शो करके और क्लाइंट के साथ बेहतर संवाद बनाकर ही सफल हो सकता है।
जब उनसे ये पूछा जाता है कि एक महिला होने के नाते जंगलों में फोटोग्राफी करते हुए आपको किस चीज से डर लगता है तो वे कहती हैं मुझे किसी चीज से डर नहीं लगता। मैं मानती हूं कि अगर आपकी इच्छाशक्ति में दम है तो उस काम को करने से आपको कोई नहीं रोक सकता। आखिर कैमरा और जानवर दोनों को पुरुष और महिला में फर्क नहीं जानते।
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